
योगिनी एकादशी को 'हरि वासरा' या भगवान विष्णु का दिन भी कहा जाता है, जिन्हें यह त्यौहार समर्पित है। यह शुभ दिन 'आषाढ़' महीने में 'कृष्ण पक्ष' के 11 वें दिन पड़ता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसके अनुसार इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति किसी भी तरह की बीमारी से दूर रहता है और उसे अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। व्यक्ति पापों के नकारात्मक प्रभावों से मुक्त होकर 'मोक्ष' या 'मुक्ति' प्राप्त कर सकता है। इस दिन व्रत रखने वाले और सभी अनुष्ठानों का ठीक से पालन करने वाले भक्तों को 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है।
योगिनी एकादशी का त्यौहार मनाने के पीछे क्या कहानी है?
लोककथा के अनुसार एक समय की बात है हेम नाम का एक राजमाता रहता था, जो एक यक्ष था और उसकी स्वरूपवती नाम की एक सुंदर पत्नी थी। वह अलकपुरी के राजा कुबेर के लिए काम करता था। राजा भगवान शिव का सच्चा भक्त था। हेम का काम पवित्र मानसरोवर झील से फूल इकट्ठा करना और राजा के लिए लाना था ताकि वह शिव की पूजा कर सके। एक दिन हेम अपनी पत्नी के साथ व्यस्त होने के कारण अपना कर्तव्य पूरा करना भूल गया। जब राजा को यह पता चला तो वह क्रोधित हो गया और उसने हेम को कोढ़ रोग और अपनी पत्नी से अलग होने का श्राप दे दिया। उसे राज्य से निकाल दिया गया। हेम तब अकेले महीनों तक भटकता रहा जब वह महान ऋषि 'मार्कंडेय' के पास आया, जिन्होंने उसे श्राप से मुक्ति पाने के लिए 'योगिनी एकादशी' का व्रत रखने को कहा। हेम ने व्रत पूरा किया और अपने मूल रूप 'यक्ष' में वापस आ गया। वह फिर अपनी पत्नी के पास वापस आ गया और हमेशा खुशी-खुशी रहने लगा। तब से यह दिन शुभ माना जाता है क्योंकि इससे पापों और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
'योगिनी एकादशी' के व्रत से क्या लाभ हैं?
जो लोग चर्म रोग, कुष्ठ रोग और अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें इस व्रत से अवश्य लाभ मिलता है। इस पवित्र दिन पर व्रत रखने से व्यक्ति अपने पापों और बुरे कर्मों से भी मुक्त हो जाता है। यह व्यक्ति के आध्यात्मिक ज्ञान और प्रिय भगवान विष्णु के प्रति प्रेम को बढ़ाता है। लोगों को अच्छे स्वास्थ्य के साथ-साथ खुशियों से भरा समृद्ध जीवन भी मिलता है।
'योगिनी एकादशी पूजन' करते समय किन अनुष्ठानों का पालन करना चाहिए?
- यह व्रत अन्य एकादशी व्रतों की तरह दशमी की रात्रि से शुरू होकर द्वादशी की सुबह पूरा होता है।
- भक्त को स्नान करने के लिए सुबह जल्दी उठना पड़ता है।
- इसके बाद वह निकटतम 'पीपल' वृक्ष के पास जाता है और उसकी पूजा करता है, जिसे पवित्र माना जाता है।
- शुद्धि के लिए व्यक्ति को मिट्टी और तिल का लेप बनाकर उससे अपने शरीर को साफ करना होता है।
- कई भक्त भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए जागरण या रात भर प्रार्थना और मंत्रों का जाप करते हैं।
- भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए भक्त इस दिन जरूरतमंदों और गरीबों को भोजन, कपड़े और दवाइयां दान करते हैं।
- इस दिन व्रत रखने वाले लोगों को चावल खाने से परहेज करना होता है।
- भक्तगण भगवान विष्णु के भजन गाते हैं।








