अठ बुधवार आरती
अठ बुधवार की आरती (हिंदी)
आरती युगल किशोर कीजै, तन मन न्यौछावर कीजै || टेक ||
गौरश्याम मुख निरखान लीजै, हरि का स्वरूप नयन भरी पीजै
रवि शशि कोटि बदन की शोभा, ताहि निरिख मेरो मन लोभा
ओढ़े नील पीत पट सारी , कुंजबिहारी गिरिवरधारी
फूलन की सेज फूलन की माला ,रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाल
कंचनथर कपूर की बाती, हरि आये निर्मल भई छाती
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी आरती करे ब्रज नारी
नन्द नन्दन ब्रजभानु किशोरी, परमानन्द स्वामी अविचल ज़ोरी
आठ बुधवार की आरती (अंग्रेजी)
आरती युगल किशोर कीजे, तन मन नीयौछावर कीजे | टेक |
गौरश्याम मुख निरखन लीजे हरि का स्वरूप नयन भारी पीजे,
रवि शशि कोटि बदन की शोभा ताहि निरिख मेरो मन लोभा,
ओडे नील पीत पट सारी कुंजबिहारी गिरिवरधारी,
फुलां की सेज फुलां की माला रतन सिहासन बैठे नन्दलाल,
कंचनतर कपूर की बाती हरी आये निर्मल भई चाटी,
श्री परषोत्तम गिरिवरधारी आरती करे बृज नारी,
नन्दनन्दन बृजभान किशोरी परमानन्द स्वामी अविचल जोरी |