रत्न कब और कैसे धारण करें?
ज्योतिषी और पत्थरों का रिश्ता एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। ज्योतिष के अनुसार हर ग्रह का अपना स्वामी भाव और रत्न होता है। ये रत्न और उनके विकल्प व्यक्ति पर अच्छे प्रभाव दिखाते हैं और व्यक्ति को उनके बुरे प्रभावों को दूर करने में मदद करते हैं। पत्थरों का इस्तेमाल आपके ज्योतिषी के अनुसार ही किया जाना चाहिए और उन्हें आपकी राशि के अनुसार भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
भारतीय ज्योतिषी
भारतीय ज्योतिषियों के अनुसार रत्न धारण करने के कई तरीके हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावी तरीका है सूर्य राशि के अनुसार रत्न धारण करना। उदाहरण के लिए यदि किसी का नाम अशोक है और अंक ज्योतिष के अनुसार उसकी राशि मेष है और मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह है, तो ग्रह के अनुसार अशोक के लिए मूंगा रत्न है।
रत्न धारण करने के कई सिद्धांत हैं, कुछ कहते हैं कि कुंडली के अनुसार रत्न धारण करें, तो कुछ कहते हैं कि अपने नाम के अनुसार रत्न धारण करें। लेकिन रत्न धारण करने का सबसे कारगर तरीका अपने नाम के अनुसार है, जिससे बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
भारतीय पौराणिक कथाओं में रत्न धारण करने का एक और तरीका है, कुंडली के अनुसार।
ज्योतिषियों के अनुसार जन्म के समय ग्रहों की उपस्थिति, भाग्य आदि के आधार पर रत्न धारण किया जा सकता है। जन्म कुंडली के अनुसार रत्न धारण करना एक और तरीका है। इसके अलावा अंक ज्योतिष और हाथ देखकर रत्न चुनना भी एक और तरीका है। इन तरीकों से भी कई चीजों का अनुमान लगाया जा सकता है।